Tuesday, November 30, 2010

उगता सूरज

मखमली घास सा उगता सूरज।
माँ के कोमल स्पर्श जैसा उगता सूरज।
मासूम सी मुस्कान बिखेरता उगता सूरज ।
ऊँगली पकड़ नयी राह दिखाता उगता सूरज ।
चुनोतियों के पथ ले जाता उगता सूरज ।
सफलता की मंजिल पर पहुंचाता उगता सूरज ।

9 comments:

  1. "...सफलता की मंजिल पर पहुंचाता उगता सूरज...."

    उगते सूरज को बहुत अच्छे से परिभाषित किया है आपने.

    सादर

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  2. हमेशा आपके साथ रहे ये उगता सूरज...
    बहुत खूब...

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  3. पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ आपकी टिपण्णी और उत्साह वर्धन के लिए! आपकी टिपण्णी मिलने से मेरे लिखने का उत्साह दुगना हो जाता है!
    मेरे माँ पिताजी आए हुए हैं इसलिए मैं व्यस्त थी और नियमीत रूप से आपके ब्लॉग पर नहीं आ सकी उसके लिए माफ़ी चाहती हूँ! बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने! आपकी लेखनी को सलाम!

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  4. आपकी टिपण्णी और हौसला अफजाही के लिए शुक्रिया!
    आपके नए पोस्ट का इंतज़ार है!

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  5. बहुत सुन्दर एहसास ....मेरे डेशबोर्ड पर तुम्हारा ब्लॉग क्यों नहीं आ रहा ? तुम्हारी नयी रचनाएँ सब आज पढ़ीं ...देखती हूँ क्या चक्कर है :)

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  6. आपकी टिपण्णी के लिए शुक्रिया!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  7. acchi kavita, acche shabd, achhi parikalpna...
    Kaisi hain aap???

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  8. बहुत प्यारी रचना के लिए बधाई आपको !

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