मखमली घास सा उगता सूरज।
माँ के कोमल स्पर्श जैसा उगता सूरज।
मासूम सी मुस्कान बिखेरता उगता सूरज ।
ऊँगली पकड़ नयी राह दिखाता उगता सूरज ।
चुनोतियों के पथ ले जाता उगता सूरज ।
सफलता की मंजिल पर पहुंचाता उगता सूरज ।
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"...सफलता की मंजिल पर पहुंचाता उगता सूरज...."
ReplyDeleteउगते सूरज को बहुत अच्छे से परिभाषित किया है आपने.
सादर
हमेशा आपके साथ रहे ये उगता सूरज...
ReplyDeleteबहुत खूब...
पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ आपकी टिपण्णी और उत्साह वर्धन के लिए! आपकी टिपण्णी मिलने से मेरे लिखने का उत्साह दुगना हो जाता है!
ReplyDeleteमेरे माँ पिताजी आए हुए हैं इसलिए मैं व्यस्त थी और नियमीत रूप से आपके ब्लॉग पर नहीं आ सकी उसके लिए माफ़ी चाहती हूँ! बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने! आपकी लेखनी को सलाम!
आपकी टिपण्णी और हौसला अफजाही के लिए शुक्रिया!
ReplyDeleteआपके नए पोस्ट का इंतज़ार है!
behad sunder.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर एहसास ....मेरे डेशबोर्ड पर तुम्हारा ब्लॉग क्यों नहीं आ रहा ? तुम्हारी नयी रचनाएँ सब आज पढ़ीं ...देखती हूँ क्या चक्कर है :)
ReplyDeleteआपकी टिपण्णी के लिए शुक्रिया!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
acchi kavita, acche shabd, achhi parikalpna...
ReplyDeleteKaisi hain aap???
बहुत प्यारी रचना के लिए बधाई आपको !
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