Friday, March 13, 2015

Internet

 इंटरनेट  से  जब  तक  कनेक्टिविटी  रहती  हैं  फूल
तब  तक  दोस्तों  ज़िन्दगी  लगती  हैं  वंडरफुल  

Saturday, June 21, 2014

hindi kehne lagi

आदत पड़ गयी हैं तुमको पड़े रहने की गुलाम
पहले अंग्रेजो को..... अब अंग्रेजी को करते हो सलाम

Wednesday, June 5, 2013

अपने  को  तलाशते  हुए,
विचारों  के  आवरण  को  धारे  हुए।
चला  जाता  हैं  मुसाफिर  राहों  का,
मंजिलों  को  पाते  हुए।

तारों  की  झिल-मिल मशाल  हाथों  मे  ले,
दिन  का  उजियारा  हो  सीने में,
काटेगा  वो अंधियारी  रात,
अपने  अदम्य  साहस  से।

हवाओं  का  वेग  हो  तन में
बिजली  की  गति  को  कदम में
नए  सर्जन  की  नींव  रखेगा 
वो  कठिन  श्रम  से।

नवीन  सोच  के  बीज  हाथों  मे  ले,
पुरानी  जड़ों  को  काटके,
क्रान्ति  की  नयी  फसल  उगाएगा,
नए  दृष्टिकोण  के  साथ में।

चला  जाता  है मुसाफिर  राहों  का,
मंजिलों  को  पाते  हुए।

Friday, March 8, 2013

Aurat

सब कुछ बाँट दिया मैंने अपना.... हर एक रिश्ते में...
शायद बचा हो कुछ मेरे लिए भी इस जीवन के खाते में.

Tuesday, December 11, 2012

waqt

वक़्त  धूप -छाँव  हैं,
नित  नया  अहसास  हैं।
वक्त  कैनवास  हैं,
नित  नये  रंगों  की  बोछार  हैं।
वक़्त  जादूगरी  हैं,
नित  नए  अजूबों  की  राह  है
वक़्त  एक  सवाल  हैं,
नित  हम  ढूंढ़ते  जवाब  हैं।
वक्त  रेत  हैं, वक्त पानी  हैं,
वक़्त  बहती  हवा  हैं।
नित  इसे  रोकने  का  करते  हम
असफल  प्रयास  हैं।

Saturday, August 18, 2012

Teri Yaad

इतना  याद  किया  इस  दिल  ने  तुझको की,
तेरी  याद  इस  दिल  मे  नासुर  बन  कर  रह  गयी.
ना  निकालते  बनता  हे, ना  रखते  बनता  हे.
हर  पल  इस  दर्द  के  साथ  जीना  पड़ता  हे.

Friday, May 4, 2012

Ganga ki pukaar

जभी  दिल  पर  बढ़  जाता  हैं पाप  का  बोझ,
चल  पड़ते  हैं  सभी  गंगा  की  और.
सोचा  मैंने  भी  जाऊं  मैं  वहां, जहाँ  जाते  हैं  सभी,
जीते जी  या  फिर  कर  के  देह  को  त्याग.
ज्यूँ  ही  पंहुचा .....ठिठक  गए  मेरे  कदम,
देख  के  एक  दृश्य  असामान्य.
एक  मोटी  सी  काली  स्याह  चादर  में,
लिपटी  थी  वो उज्जवल  पावन  लहर,
और  थे  उस  पर  छितरे  दूर -दूर  तक
इंसानी  ढाचों  के  अवशेष.
पास  जाके  सुना  तो एक  दबी  सी
आवाज़  आई.
हटा  दो ....हटा  दो....इस  चादर  को  मुझ  पर से
मैं  हूँ  तुम्हारी  जीवनदायिनी.