Sunday, January 22, 2012


Thinking of what to write....

शहर से दूर गाँव में॥
एक प्यारा सा घर ॥

Few Sketches...

Wednesday, January 18, 2012

नींद या सुकून

एक बार फिर आपके समक्ष उपस्थित हूँ लेकर एक और रचना.
आज-कल भाग-दौड़ की जिंदगी मैं हमारे पास ना तो सुकून रहा हैं
और न ही वो नींद.....बस एक दौड़ ही रह गयी हैं जिंदगी मैं,जो हमारी
अंतिम सांस तक चलती रहेगी.


पलके बोझिल हैं,
आँखों में नींद नहीं।
नींद आये भी कैसे,
दिल में जो सुकून नहीं।
सुकून मिले भी क्यूँ,
क्यूंकि हर पल संघर्ष हैं।
संघर्ष भला कैसे छोडे।
आखिर जीवन एक दौड़ हैं।
दौड़ में रहना हैं आगे,
क्यूंकि पाने कई मुकाम हैं।
मुकाम पा भी लिए अगर,
...तो अडिग रहने का प्रयत्न हैं।
प्रयत्न सफल हो जाए,
जद्दोजहद हे साँसों की डोर से।
साँसों की डोर टूट जाए,
तो नींद और सुकून हैं।