Friday, January 15, 2010

सूर्य grahan

आज सबसे बड़ा सूर्यग्रहण है । मैं अभी सूर्य ग्रहण के ख़त्म होने का इंतज़ार कर रही हूँ । आज मेरी माँ ने हमारी कामवाली को घर के अंदर नहीं आने दिया । खुद ने ही घर का सब काम कर लिया , मैंने माँ को बोला अरे कामवाली को तो आने दो ,तो माँ बोलती है वोह ग्रहण शुरू होने पर आई है स्नान किया नहीं है कैसे आने दू । आज माँ ने सुबह से कुछ नहीं खाया अब ग्रहण के शुद्ध होने पर ही खायेंगी ,बाकी घर के लोगो को ग्रहण शुरू होने से पहले खिला दिया । लोग कब तक ऐसे अन्धविश्वाश पर कायम रहेंगे । वैसे माँ पूरी तरह से रुढ़िवादी नहीं है, हां पर कभी -कभी उनके ऊपर ऐसे पुरानी मान्यता यदा कदा हावी हो जाती है । जमाना आगे बढ़ चूका है नयी उपलब्धिया को हमने प्राप्त किया है
मेरी मासी तो बहुत ज्यादा ही रुदिवादी है । उन्होंने तो सूर्यग्रहण की पिछली रात ग्यारह बजे के बाद से लेकर सूर्यग्रहण के ख़त्म होने के तीन चार घंटे बाद भी कुछ नहीं खाया जिसकी वजह से उन्हें एसिडिटी हो गयी और बहुत उल्टिया शुरू हो गयी
कितनी भी तबियत खराब हो जाये मेरी मासी आपनी सोच बदल नहीं सकती । इसके लिए मैं एक ही कहावत कह सकती हूँ । भैंस के आगे बीन बजने से क्या फायदा ।

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