Wednesday, January 27, 2010

बचपन की गलियां

बचपन की गलियों से हर कोई गुजरता है । खुबसूरत राहो मैं हर कोई विचरता है । जैसे -जैसे उमर बढती चली जाती है। यथार्थ की दुनिया मैं हमे लिए जाती है । अब तो बचपन खवाबो -खयालो मैं बसा है । सुनहरी किताब मैं इन लम्हों को संजोया है ।

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