Thursday, June 10, 2010

जिंदगी क्या है ...

जिंदगी क्या है ......इसका वर्णन हर कोई अपने हिसाब से करता है । मैंने भी अपने तरीके से जिंदगी का वर्णन किया है।

जिंदगी पटरी है ,साँसों के पहियों पर दौड़ती,
लम्हों की रेल है।

जिंदगी दरिया है,साँसों की लहरों पर चलती,
लम्हों की कश्ती है।

जिंदगी जमीन है,साँसों की नीव पर बसी,
लम्हों का आशिया है।

जिंदगी किताब है, साँसों की कलम से लिखी,
लम्हों की दास्ताँ है।

जिंदगी संगीत है, साँसों के स्वरों से सजी,
लम्हों का गीत है।

जिंदगी रंगशाला है,साँसों के इशारों पर रचित,
लम्हों का खेल है।

जिंदगी एक बाग़ है, साँसों की खुशबु से महकी,
लम्हों के फूल है।

4 comments:

  1. जिंदगी एक बाग़ है, साँसों की खुशबु से महकी,
    लम्हों के फूल है।
    ....वाह जी वाह
    सच ही कहा है

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  2. ज़िन्दगी की परिभाषा को आपने बहुत ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया है! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है! इस उम्दा रचना के लिए बधाई!

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  3. बहुत खूबसूरती से लिखी है परिभाषा ज़िंदगी की....

    कुछ नमूने यह भी हैं..

    ज़िंदगी
    दिन का
    शोर है जो
    रात की
    खामोशी में
    खो जाता है
    *****
    ज़िंदगी क्या
    माचिस की तीली नहीं
    जो कुछ देर जल
    स्वयं ही
    बुझ जाती है ...

    ***************

    कमेन्ट से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें...टिप्पणी देने में सरलता होगी

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  4. जिंदगी को खूबसूरती से परिभाषित किया है.

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