यह व्यंग गीत, उन पतियों के नाम हे, जो अपने को बहुत कुछ और अपनी पत्नियों को कुछ समझते ही नहीं हे, हर वक़्त उनकी तानाशाही चलती रहती हे । इस गीत को मैंने " ॐ जय जगदीश हरे " आरती की तर्ज़ पर लिखा हे । उम्मीद करती हूँ,शायद आप को पसंद आये ।
जो पतिदेव कहे ......
तर्ज़ [ॐ जय जगदीश हरे ]
जो पतिदेव कहे, पतिदेव जो कहे ,
हर आज्ञा का पालन, हर आज्ञा का पालन,
पत्नी चुप-चाप करे।
जो पतिदेव कहे ..........
अर्धांगिनी का अर्थ, जो जान के भी ना जाने,
जो जान के भी ना जाने ।
बात -बात पर ताने, बात-बात पर ताने।
सीना छलनी करे॥
जो पतिदेव कहे ......
घुन और नारी दोनों, सिक्के के दो रूप,
अजी सिक्के के दो रूप ।
दो पाटो बीच पीसना, दो पाटो बीच पीसना।
नारी का जीवन ॥
जो पतिदेव कहे ......
पढ़ी लिखी शहरी , चाहे गाँव की हो गोरी,
चाहे गाँव की हो गोरी।
सदिया चाहे बदले, सदिया चाहे बदले ।
व्यथा वही पुरानी॥
जो पतिदेव कहे .......
हज़ारो मे होगी कोई, ऐसी किस्मतवाली,
हां ऐसी किस्मतवाली ।
जिसको पति माने, जिसको पति माने ।
सच्चा जीवन-साथी ॥
जो पतिदेव कहे, पतिदेव जो कहे ,
हर आज्ञा का पालन, हर आज्ञा का पालन ।
पत्नी चुप -चाप करे ॥
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नमस्कार...
ReplyDeleteवाह क्या आरती है...
पति देव खुश होने के बजाये दुखी हो जाएँ....हाहाहा..
सुन्दर आरती..
दीपक शुक्ल..
:):) भुगता हुआ सच...
ReplyDeleteकमेंट्स की सेट्टिंग से वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें....टिप्पणी देने में आसानी रहेगी
सच्चाई को आपने बखूबी प्रस्तुत किया है! बहुत खूब!
ReplyDeletepatidev ka samman jo patni na kare..
ReplyDeleteus dampati ka jeevan kaise khushaal rahe??
I guess understanding and mutual respect is necessary in any relationship.. What say sister??