Monday, May 17, 2010

जो पतिदेव कहे [एक व्यंग गीत ]

यह व्यंग गीत, उन पतियों के नाम हे, जो अपने को बहुत कुछ और अपनी पत्नियों को कुछ समझते ही नहीं हे, हर वक़्त उनकी तानाशाही चलती रहती हे । इस गीत को मैंने " ॐ जय जगदीश हरे " आरती की तर्ज़ पर लिखा हे । उम्मीद करती हूँ,शायद आप को पसंद आये ।

जो पतिदेव कहे ......
तर्ज़ [ॐ जय जगदीश हरे ]

जो पतिदेव कहे, पतिदेव जो कहे ,
हर आज्ञा का पालन, हर आज्ञा का पालन,
पत्नी चुप-चाप करे।
जो पतिदेव कहे ..........

अर्धांगिनी का अर्थ, जो जान के भी ना जाने,
जो जान के भी ना जाने ।
बात -बात पर ताने, बात-बात पर ताने।
सीना छलनी करे॥
जो पतिदेव कहे ......
घुन और नारी दोनों, सिक्के के दो रूप,
अजी सिक्के के दो रूप ।
दो पाटो बीच पीसना, दो पाटो बीच पीसना।
नारी का जीवन ॥
जो पतिदेव कहे ......
पढ़ी लिखी शहरी , चाहे गाँव की हो गोरी,
चाहे गाँव की हो गोरी।
सदिया चाहे बदले, सदिया चाहे बदले ।
व्यथा वही पुरानी॥
जो पतिदेव कहे .......
हज़ारो मे होगी कोई, ऐसी किस्मतवाली,
हां ऐसी किस्मतवाली ।
जिसको पति माने, जिसको पति माने ।
सच्चा जीवन-साथी ॥
जो पतिदेव कहे, पतिदेव जो कहे ,
हर आज्ञा का पालन, हर आज्ञा का पालन ।
पत्नी चुप -चाप करे ॥

4 comments:

  1. नमस्कार...
    वाह क्या आरती है...
    पति देव खुश होने के बजाये दुखी हो जाएँ....हाहाहा..

    सुन्दर आरती..

    दीपक शुक्ल..

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  2. :):) भुगता हुआ सच...

    कमेंट्स की सेट्टिंग से वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें....टिप्पणी देने में आसानी रहेगी

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  3. सच्चाई को आपने बखूबी प्रस्तुत किया है! बहुत खूब!

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  4. patidev ka samman jo patni na kare..
    us dampati ka jeevan kaise khushaal rahe??

    I guess understanding and mutual respect is necessary in any relationship.. What say sister??

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