tag:blogger.com,1999:blog-84004655183164112472024-03-05T00:56:14.134-08:00world through my eyes...sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.comBlogger60125tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-45245891404845464162015-03-13T00:21:00.002-07:002015-03-13T00:21:41.701-07:00Internet<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
इंटरनेट से जब तक कनेक्टिविटी रहती हैं फूल <br />तब तक दोस्तों ज़िन्दगी लगती हैं वंडरफुल </div>
sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-34265416309108801282014-06-21T06:27:00.000-07:002014-06-21T06:27:28.953-07:00hindi kehne lagi<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
आदत पड़ गयी हैं तुमको पड़े रहने की गुलाम <br /> पहले अंग्रेजो को..... अब अंग्रेजी को करते हो सलाम</div>
sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-22470718851651575602013-06-05T06:12:00.000-07:002013-06-05T07:51:33.499-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
अपने को तलाशते हुए,<br />
विचारों के आवरण को धारे हुए।<br />
चला जाता हैं मुसाफिर राहों का,<br />
मंजिलों को पाते हुए।<br />
<br />
तारों की झिल-मिल मशाल हाथों मे ले,<br />
दिन का उजियारा हो सीने में,<br />
काटेगा वो अंधियारी रात,<br />
अपने अदम्य साहस से।<br />
<br />
हवाओं का वेग हो तन में<br />
बिजली की गति को कदम में<br />
नए सर्जन की नींव रखेगा <br />
वो कठिन श्रम से।<br />
<br />
नवीन सोच के बीज हाथों मे ले,<br />
पुरानी जड़ों को काटके,<br />
क्रान्ति की नयी फसल उगाएगा,<br />
नए दृष्टिकोण के साथ में।<br />
<br />
चला जाता है मुसाफिर राहों का,<br />
मंजिलों को पाते हुए। </div>
sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-4198073467794390652013-03-08T05:37:00.001-08:002013-03-08T05:37:52.144-08:00Aurat<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span class="userContent">सब कुछ बाँट दिया मैंने अपना.... हर एक रिश्ते में...<br /> शायद बचा हो कुछ मेरे लिए भी इस जीवन के खाते में.</span></div>
sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-31039330994042042482012-12-11T23:07:00.003-08:002012-12-11T23:07:59.528-08:00waqt <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
वक़्त धूप -छाँव हैं,<br />नित नया अहसास हैं।<br />वक्त कैनवास हैं,<br />नित नये रंगों की बोछार हैं।<br />वक़्त जादूगरी हैं,<br />नित नए अजूबों की राह है<br />वक़्त एक सवाल हैं,<br />नित हम ढूंढ़ते जवाब हैं।<br />वक्त रेत हैं, वक्त पानी हैं,<br />वक़्त बहती हवा हैं।<br />नित इसे रोकने का करते हम <br />असफल प्रयास हैं।</div>
sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-12433508690659420812012-08-18T23:09:00.002-07:002012-08-18T23:09:41.642-07:00Teri Yaad<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
इतना याद किया इस दिल ने तुझको की,<br />तेरी याद इस दिल मे नासुर बन कर रह गयी.<br />ना निकालते बनता हे, ना रखते बनता हे. <br />हर पल इस दर्द के साथ जीना पड़ता हे. </div>
sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-62857946781671421842012-05-04T01:57:00.002-07:002012-05-04T01:57:38.001-07:00Ganga ki pukaar<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: left;">
जभी दिल पर बढ़ जाता हैं पाप का बोझ,<br />चल पड़ते हैं सभी गंगा की और.<br />सोचा मैंने भी जाऊं मैं वहां, जहाँ जाते हैं सभी,<br />जीते जी या फिर कर के देह को त्याग.<br />ज्यूँ ही पंहुचा .....ठिठक गए मेरे कदम,<br />देख के एक दृश्य असामान्य.<br />एक मोटी सी काली स्याह चादर में,<br />लिपटी थी वो उज्जवल पावन लहर,<br />और थे उस पर छितरे दूर -दूर तक <br />इंसानी ढाचों के अवशेष.<br />पास जाके सुना तो एक दबी सी <br />आवाज़ आई.<br />हटा दो ....हटा दो....इस चादर को मुझ पर से <br />मैं हूँ तुम्हारी जीवनदायिनी.</div>
</div>sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-1602815615731663882012-03-28T07:17:00.002-07:002012-03-28T07:38:28.582-07:00common manThis is my first attempt to write in english language.<br /><br /><span style="font-weight: bold;">we are strangers,<br />though we walk together.<br />being a part of this crowd,<br />sharing the same lane.<br />common man you are,<br />..and i am the same.<br /><br />The thoughts we share,<br />the difficulties we face.<br />struggling in this so called<br />life maze,<br />finding a path for ourselves.<br />being a part of this crowd,<br />sharing the same lane.<br />common man you are,<br />and i am the same.<br /><br />The hope and happiness,<br />despair and sadness.<br />weighing these all on life scale,<br />each and every day.<br />being a part of this crowd,<br />sharing the same lane.<br />common man you are,<br />and i am the same.<br /><br /></span>sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-85648999047610678532012-03-05T21:15:00.003-08:002012-03-08T01:57:49.389-08:00होली हैं<span style="font-weight: bold;"><span style="color: rgb(204, 51, 204);"><span style="color: rgb(255, 0, 0);">भर लो मुट्ठी मैं रंग अबीर और गुलाल।<br />हवा मैं बिखरावो इसे,सतरंगी बन जाए ये संसार।<br />ख़ुशी की फुहार से करदो सबको सरोबार।<br />भूल कर सारे गिले -शिकवे प्रेम से मिलो सबसे आप।<br />यही सन्देश देता हैं होली का यह त्यौहार।<br /></span><br /><br /></span></span><span style="color: rgb(204, 51, 204);"><span style="color: rgb(0, 0, 102);"></span></span>sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-39264394145294634522012-01-22T09:58:00.000-08:002012-01-22T10:06:47.094-08:00<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjWeFjk3yfjaR_8xY8pLhJVmGMc__TxSNmfpqAMb6YjJweAmUjGiKx_RNJ7djlhfEntSnkXY-xaJ3k6cyyhK9iDvhQ9bUw3lEgk17nxmzrX1sqts2eCXV3cb1oXXEeJzgl_M8ezfFQ6WCGb/s1600/didiart4.jpg"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 400px; height: 262px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjWeFjk3yfjaR_8xY8pLhJVmGMc__TxSNmfpqAMb6YjJweAmUjGiKx_RNJ7djlhfEntSnkXY-xaJ3k6cyyhK9iDvhQ9bUw3lEgk17nxmzrX1sqts2eCXV3cb1oXXEeJzgl_M8ezfFQ6WCGb/s400/didiart4.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5700517870759928194" border="0" /></a><br />Thinking of what to write....<br /><br />शहर से दूर गाँव में॥<br />एक प्यारा सा घर ॥sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-21568255091320420822012-01-22T09:48:00.000-08:002012-01-22T10:10:38.292-08:00Few Sketches...<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh4vpwjFT5IZsP_g_4Gw7BKujqHUYEfavLNM-NEQ68mPZ1B_mciOCOicdD91UtOzzwaZq0a6GbBBRHbpydIN1D7GMoMDPohRkulHUm-mNMjVEy_lzgiAtl4BQet9V5laGybDzNfqv7tcIeZ/s1600/didiarrt3.jpg"><img style="cursor:pointer; cursor:hand;width: 288px; height: 400px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh4vpwjFT5IZsP_g_4Gw7BKujqHUYEfavLNM-NEQ68mPZ1B_mciOCOicdD91UtOzzwaZq0a6GbBBRHbpydIN1D7GMoMDPohRkulHUm-mNMjVEy_lzgiAtl4BQet9V5laGybDzNfqv7tcIeZ/s400/didiarrt3.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5700516747509460802" border="0" /></a>sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-27487958688346980312012-01-18T04:47:00.000-08:002012-01-18T05:08:53.657-08:00नींद या सुकूनएक बार फिर आपके समक्ष उपस्थित हूँ लेकर एक और रचना.<br />आज-कल भाग-दौड़ की जिंदगी मैं हमारे पास ना तो सुकून रहा हैं<br />और न ही वो नींद.....बस एक दौड़ ही रह गयी हैं जिंदगी मैं,जो हमारी<br />अंतिम सांस तक चलती रहेगी.<br /><br /><br /><span style="color: rgb(0, 0, 153);">पलके बोझिल हैं,<br />आँखों में नींद नहीं।<br />नींद आये भी कैसे,<br />दिल में जो सुकून नहीं।<br />सुकून मिले भी क्यूँ,<br />क्यूंकि हर पल संघर्ष हैं।<br />संघर्ष भला कैसे छोडे।<br />आखिर जीवन एक दौड़ हैं।<br />दौड़ में रहना हैं आगे,<br />क्यूंकि पाने कई मुकाम हैं।<br />मुकाम पा भी लिए अगर,<br />...तो अडिग रहने का प्रयत्न हैं।<br />प्रयत्न सफल हो जाए,<br />जद्दोजहद हे साँसों की डोर से। <br />साँसों की डोर टूट जाए,<br />तो नींद और सुकून हैं।<br /></span>sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-1540458834239205252011-11-30T06:07:00.000-08:002011-11-30T06:45:37.313-08:00घर<span style="font-family: arial;">आज बहुत समय के बाद आप सभी के समक्ष उपस्थित हूँ,<br />एक और रचना के साथ..पर ये रचना मेरी नहीं मेरे छोटे भाई<br />की हैं ..वो भी लिखते हैं ..पर इन दिनों व्यस्तता के चलते लिख नहीं<br />पाते हैं ....आज उनकी बहुत पहले लिखी कविता आप सभी के साथ <br />बांटना चाहती हूँ । मुझे पूरी उम्मीद हैं आपको ये कविता जरुर पसंद<br />आएगी ।<br /><span style="color: rgb(0, 0, 153);">दो अक्षर का मेल हैं घर,<br />परिवार के लोगों का मिलन हैं घर।<br />सुख और शान्ति जहाँ मिले,<br />उस जगह का नाम हैं घर ।<br />थक कर जहाँ मिले आराम,<br />वह कहलाता हैं घर ।<br /><br />घर नहीं केवल एक मकान,<br />नहीं ईंट और मिटटी से बनी ईमारत शानदार।<br />राजा का महल नहीं,<br />ना गरीब की कुटीया हैं घर,<br />तो फिर घर क्या हैं ?<br /><br />जहाँ परिवार के साथ रह पाए ,<br />सुख -दुःख एक दुसरे के बांटते जाए। <br />जिससे हम न रह सके दूर,<br />जिसके बिना न रहे आँखों मैं नूर ।<br />उस स्वर्ग का नाम हैं घर।<br /><br />चलो इस दुनिया को घर बनाये,<br />हिंसा को इस जग से हटाये।<br />भाई -भाई की तरह गले मिल जाए,<br />चेहरे पे सबके खुशियाँ लौटा लाये।<br /><br /></span><br /></span>sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com16tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-13947071985959537022011-07-23T06:48:00.000-07:002011-07-23T07:10:11.319-07:00मुंबई की बरसात<span style="color: rgb(0, 0, 153);">यह मुंबई की बरसात हैं।<br />यह मुंबई की बरसात हैं।<br />किसी के लिए सौगात खुशियों की,<br />तो कही मुसीबत की मार हैं।<br />यह मुंबई की बरसात हैं ।<br /><br />कोई मोती की इन बूंदों से खेले,<br />कोई अपनी टपकती छत को देखे।<br />किसी के लिए मौसम खुशगवार हैं,<br />तो किसी के लिए परेशानी की धार हैं।<br />यह मुंबई की बरसात हैं ।<br />यह मुंबई की बरसात हैं ।<br /><br />कही लोकल ठप्प हैं,<br />कही सडको पर जाम हैं।<br />अनगिनत गड्ढो से बिगड़ते हरदम हालत हैं<br />फिर भी मुस्कुराकर मुंबईकर,<br />हर मुसीबत से लड़ने को तैयार हैं।<br />यह मुंबई की बरसात हैं। <br />यह मुंबई की बरसात हैं।<br /><br /><br /><br /></span>sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-66191958330889146362011-05-16T02:31:00.000-07:002011-05-16T02:45:20.755-07:00धर्म<span style="color: rgb(0, 0, 153);">राम,अल्लाह, नानक, येशु और साईं,<br />यह सब ही हैं सर्व शक्तिमान।<br />कभी नहीं करते हैं यह,<br />आपस में कोई भेद -भाव ।<br />पर इनके बन्दे हम इन्सान,<br />कब समझ पायेंगे यह बात।<br />कोई धर्म न नीचा होता हैं न ऊंचा,<br />सारे ही होते हैं एक समान।<br />लड़ो न तुम आपस में,<br />न बढाओ तुम कोई विवाद ।<br />चाहे मंदिर बने या मस्जिद रहे,<br />इससे क्या फर्क पड़ता हैं ।<br />हर पूजा या इबादत का स्थान,<br />हमेशा ही पवित्र होता हैं .<br /></span>sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com14tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-37316052394386758982011-03-02T07:27:00.000-08:002011-03-02T07:57:29.916-08:00महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर,<br />सभी शिव-भक्त को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनएँ<br />एक छोटा सा भजन इस पावन मौके पर।<br /><br /><span style="color: rgb(0, 0, 153);">जीवन सार्थक करे शिव का नाम।<br />शिव-चरण बिन कहाँ विश्राम॥ <br /><br />हर -हर महादेव नाम का करो स्नान,<br />शिव-चरण बिन कहाँ विश्राम।<br /> <br />जीवन सार्थक करे शिव का नाम।<br />शिव-चरण बिन कहाँ विश्राम॥<br /><br />डमरू की डम-डम मे शम्भो नाम,<br />शिव -चरण बिन कहाँ विश्राम।<br /></span><br /><span style="color: rgb(0, 0, 153);">जीवन सार्थक करे शिव का नाम।<br />शिव -चरण बिन कहाँ विश्राम ॥<br /><br />गंगा की धार बोले शंकर नाम,<br />शिव-चरण बिन कहाँ विश्राम।<br /><br />जीवन सार्थक करे शिव का नाम।<br />शिव -चरण बिन कहाँ विश्राम॥<br /><br />तुम्ही गुरु,तुम्ही परमपिता,<br />शिव -चरण बिन कहाँ विश्राम।<br /><br />जीवन सार्थक करे शिव का नाम।<br />शिव -चरण बिन कहाँ विश्राम॥<br /><br />ॐकार नाम से गूंजे सारा संसार,<br />शिव -चरण बिन कहाँ विश्राम।<br /><br />जीवन सार्थक करे शिव का नाम।<br />शिव -चरण बिन कहाँ विश्राम॥<br /><br />तीन लोक मे तेरी जय -जयकार,<br />शिव -चरण बिन कहाँ विश्राम।<br /><br />जीवन -सार्थक करे शिव का नाम।<br />शिव -चरण बिन कहाँ विश्राम॥<br /></span>sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-73120780828593704142011-02-07T06:23:00.000-08:002011-02-07T06:35:33.027-08:00अरमान<span style="color: rgb(0, 51, 0);">सीने मैं जब्त कर रखे हैं,<br />अरमान कई मैंने अपने।<br />जुबा खोल दू तो ये,<br />कही खाक मैं मिल न जाये।<br /></span><span style="color: rgb(0, 102, 0);"><span style="color: rgb(0, 51, 0);">जमाना जान जाता हैं कैसे,<br />बंद जुबा की ये बातें।<br />नश्तर चुभो -चुभो कर इसे,<br />घायल ही करता जाये।<br />दिल के किसी तह मैं,<br />छुपा लिया हैं इसको मैंने ।<br />मासूम सी यह चाह मेरी,<br />कही टूट कर बिखर ना जाये।<br /><br /></span></span>sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-70809611010282646372010-12-27T05:42:00.000-08:002010-12-27T05:49:34.122-08:00जिंदगी के आईने से,<br />हटाके वक़्त की गर्त ।<br />देखा जो हमने सामने,<br />अपने बीते लम्हों का अक्स ।<br />चाहा नहीं था जिसे देखना,<br />आगया वो हमें नज़र।<br />दरकते हुए कई ख्वाबो का,<br />एक खामोश सा मंजर।sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-28621867540873887012010-11-30T00:35:00.000-08:002010-11-30T00:45:02.541-08:00उगता सूरजमखमली घास सा उगता सूरज।<br />माँ के कोमल स्पर्श जैसा उगता सूरज।<br />मासूम सी मुस्कान बिखेरता उगता सूरज ।<br />ऊँगली पकड़ नयी राह दिखाता उगता सूरज ।<br />चुनोतियों के पथ ले जाता उगता सूरज ।<br />सफलता की मंजिल पर पहुंचाता उगता सूरज ।sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-79195139460137103072010-11-16T21:58:00.000-08:002010-11-16T22:06:20.654-08:00घोटाले<span style="color: rgb(0, 0, 0);"><span style="font-weight: bold;">आदर्शवादी होने का दम हैं भरते,<br />आदर्शो का ढोल हैं पीटते।<br />किन आदर्शो की राह पर चलकर,<br />कैसे -कैसे आदर्श घोटाले करते।<br />खेल धोखेधडी और स्वार्थ का खेलते,<br />खेल,खेल की भावनाओ से खेलते।<br />अब खेल होता हैं खत्म तुम्हारा,<br />अब बेकार की सफाई , क्यूँ देते फिरते।<br /></span></span>sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-21556453404376852572010-11-08T00:00:00.000-08:002010-11-08T00:23:42.596-08:00संघर्ष<span style="color: rgb(255, 0, 0);"><span style="font-weight: bold;">संघर्ष भट्टी एक आग की,<br />जिसमे हम खुद को तपाया करते हैं।<br />तप कर इस अग्नि मे,<br />हम कुंदन बन जाया करते हैं ।<br /></span></span><span style="color: rgb(0, 0, 153);"><span style="font-weight: bold;">संघर्ष एक विशाल महासागर गहरा,</span></span><br /><span style="color: rgb(0, 0, 153);"><span style="font-weight: bold;">जिसमे हम खुद को डूबाया करते हैं।<br />डूब कर इस सागर मे,<br />हम मोती चुन लाया करते हैं ।<br /><span style="color: rgb(204, 102, 0);">संघर्ष एक राह कांटो की,<br />जिसमे हम खुद को चलाया करते हैं।<br />चल कर इस राह मे,<br />हम मंजिल को <span>पा </span>जाया करते हैं ।<br /></span><br /></span></span>sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-43689927022654770782010-10-14T00:05:00.000-07:002010-10-14T00:25:18.515-07:00अहसास<span style="color: rgb(51, 102, 255);">वक़्त की सख्त मार ने,<br />हालत कुछ इस तरह बदल दिए,<br />नर्म अहसास सीने के,<br />अब पत्थर बन कर रह गए।<br />हर गाँव, हर शहर की फिजाओं <span style="color: rgb(0, 204, 204);"><span style="color: rgb(51, 204, 255);"><span style="color: rgb(51, 102, 255);">मे,<br />हवाएं घुली हुई हैं दुनियादारी की,<br />मतलब नहीं रहा जब किसी से तो,<br />मुंह फेर कर सब चल दिए।<br />नर्म अहसास सीने के,<br />अब पत्थर बन कर रह गए ।<br />इंसान को मशीन बनाने के,<br />कारखाने खुले हुए हैं बहुत यहाँ ,<br />नज़रे उठा कर जहाँ भी देखो,<br />हर जगह बेजान ढाँचे चल रहे।<br />नर्म अहसास सीने के,<br />अब पत्थर बन कर रह गए ।<br /></span></span></span><br /></span>sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-48913027827155751052010-09-27T01:23:00.000-07:002010-09-27T02:00:38.064-07:00कॉमनवेल्थ गेम्सकॉमनवेल्थ गेम्स की देखो,<br />क्या दुर्दशा हो रही है।<br /><br />कभी पुल गिर रहे है,<br />कही छत टपक रही है,<br />तो कही सड़के धस रही है।<br />कॉमनवेल्थ गेम्स की देखो,<br />क्या दुर्दशा हो रही है।<br /><br />कलमाड़ी की कार्य-कुशलता की,<br />कलई जो खुल गयी है।<br />फिर भी ऊँगली उठा कर वो अपनी,<br />दुसरो के दोष गिना रहे है ।<br />कॉमनवेल्थ गेम्स की देखो,<br />क्या दुर्दशा हो रही है।<br /><br />पर्याप्त समय मिला था हमको,<br />पर देखो क्या तैयारिया हो रही है,<br />बद-इंतजामी की हर हद , अब पार हो रही है।<br />कॉमनवेल्थ गेम्स की देखो,<br />क्या दुर्दशा हो रही है।<br /><br />हर जगह हमारे देश की,<br />थू -थू अब हो रही है ।<br />अगर आजाते होश मे पहले ही,<br />फजीहत न होती,जो अब हो रही है।<br />कॉमनवेल्थ गेम्स की देखो,<br />क्या दुर्दशा हो रही है।sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-41796921379039164462010-09-14T05:39:00.000-07:002010-09-14T22:02:41.787-07:00वो बादलखयालो की भाप से बने,<br />उमंगो और आशाओ के बादल।<br />ख्वाबो के आसमान में ठहरकर,<br />बरसेंगे खुशियों की बरसात बनकर ।<br /><span style="color: rgb(0, 0, 153);"></span>sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-8400465518316411247.post-62524452628626478482010-09-03T02:56:00.000-07:002010-09-03T03:19:59.592-07:00सरकारी नीतियां<span style="color: rgb(0, 0, 153);"> कागजों पर ही शुरू होती हैं,<br />कागजों पर ही ख़त्म होती हैं ।<br />सरकारी नीतियां इसी तरह,<br />बनती और बिगडती हैं ।<br />होके फाईलो मे कैद,<br />रास्ता अपना खोजती हैं ।<br />सरकारी नीतियां इसी तरह,<br />बनती और बिगडती हैं ।<br />भूली बिसरी बात बनकर,<br />वक़्त की गर्त मे दबी रहती हैं।<br />सरकारी नीतियां इसी तरह,<br />बनती और बिगडती हैं ।<br />फिर दम तोड़ देती हैं एक दिन,<br />इतिहास बनके रहा करती हैं ।<br />सरकारी नीतियां इसी तरह,<br />बनती और बिगडती हैं।<br />कागजों पर ही शुरू होती हैं,<br />कागजों पर ही ख़त्म होती हैं।<br />सरकारी नीतियां इसी तरह,<br />बनती और बिगडती हैं ।<br /></span>sheetalhttp://www.blogger.com/profile/01268674674430026387noreply@blogger.com4