Wednesday, November 30, 2011

घर

आज बहुत समय के बाद आप सभी के समक्ष उपस्थित हूँ,
एक और रचना के साथ..पर ये रचना मेरी नहीं मेरे छोटे भाई
की हैं ..वो भी लिखते हैं ..पर इन दिनों व्यस्तता के चलते लिख नहीं
पाते हैं ....आज उनकी बहुत पहले लिखी कविता आप सभी के साथ
बांटना चाहती हूँ । मुझे पूरी उम्मीद हैं आपको ये कविता जरुर पसंद
आएगी ।
दो अक्षर का मेल हैं घर,
परिवार के लोगों का मिलन हैं घर।
सुख और शान्ति जहाँ मिले,
उस जगह का नाम हैं घर ।
थक कर जहाँ मिले आराम,
वह कहलाता हैं घर ।

घर नहीं केवल एक मकान,
नहीं ईंट और मिटटी से बनी ईमारत शानदार।
राजा का महल नहीं,
ना गरीब की कुटीया हैं घर,
तो फिर घर क्या हैं ?

जहाँ परिवार के साथ रह पाए ,
सुख -दुःख एक दुसरे के बांटते जाए।
जिससे हम न रह सके दूर,
जिसके बिना न रहे आँखों मैं नूर ।
उस स्वर्ग का नाम हैं घर।

चलो इस दुनिया को घर बनाये,
हिंसा को इस जग से हटाये।
भाई -भाई की तरह गले मिल जाए,
चेहरे पे सबके खुशियाँ लौटा लाये।


16 comments:

  1. Hi...

    Kavita main ghar ke baare main..
    Jo bhi tathya bataye hain...
    Man main bhav, hain umde kitne...
    Kuchh bhi na kah paye hain...

    Sundar bhav...

    Deepak Shukla..

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  2. जहाँ परिवार के साथ रह पाए ,
    सुख -दुःख एक दुसरे के बांटते जाए।
    जिससे हम न रह सके दूर,
    जिसके बिना न रहे आँखों मैं नूर ।
    उस स्वर्ग का नाम हैं घर।

    बहुत ही अच्छा लिखा है।

    सादर

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  3. कल 02/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  4. घर की काव्यात्मक व्याख्या ...सुन्दर प्रस्तुति

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  5. खूबसूरत परिभाषा....
    रचनाकार छोटे भाई को बधाई...

    सादर....

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  6. घर की खूबसूरत परिभाषा.........

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  7. चलो इस दुनिया को घर बनाये,....
    "vasudhaiv kutumbkam"

    Bahut sundar

    www.poeticprakash.com

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  8. छोटे भाई ने बहुत खूबसूरत परिभाषा दी है घर की ... सुन्दर रचना

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  9. जहाँ परिवार के साथ रह पाए ,
    सुख -दुःख एक दुसरे के बांटते जाए।
    जिससे हम न रह सके दूर,
    जिसके बिना न रहे आँखों मैं नूर ।
    उस स्वर्ग का नाम हैं घर।
    सटीक पंक्तियाँ! घर क्या होता है उसके बारे में सुन्दर शब्दों से सुसज्जित शानदार रचना लिखा है आपके भाई ने! बधाई दीजियेगा!

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  10. नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।


    सादर

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  11. आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !

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  12. घर नहीं केवल एक मकान,
    नहीं ईंट और मिटटी से बनी ईमारत शानदार।

    सटीक!!!सुन्दर रचना!

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  13. बहुत अच्छे से परिभाषित किया है आपने घर को, सुन्दर रचना!

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  14. bahut achha likha hai apne..... ati sundar rachna...
    would love to read more and more..

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  15. ghar ....bahut sunder likha hai aapne iske baare mai ,
    chaar deewaro pr chhat se makaan hota hai ,usme base insaan to wo ghar hota hai

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