Thursday, July 1, 2010

नौकरी की तलाश .

राह मे एक नौजवा से मुलाक़ात हो गयी,
बातो बातो मे उसकी कहानी पता चल गयी।
कहानी कोई नयी नहीं वही पुरानी ही थी,
उस नौजवा को एक अदद नौकरी की तलाश थी ।
आँखों मे चमक उसके दिल मे तमन्नाए हज़ार थी,
अपनी काबिलियत पर उसे नौकरी मिलने की आस थी ।
नौकरी की तलाश मे वो जहाँ -जहाँ जाता,
तारीफ़ अपनी काबिलियत की वो हर जगह पाता ।
पर अंत मे उससे एक ही सवाल पूछा जाता,
क्या किसी की सिफारिश है आपके पास ।
इसी तरह नौकरी की तलाश मे दिन बीतने लगे ,
पहले हफ्ते,महीने, फिर बरस बीत गए ।
अब वो नौजवा अखबार बेचने का काम कर रहा है,
और आज भी अपने लिए नौकरी की तलाश कर रहा है।

6 comments:

  1. सटीक...बेरोज़गारी का अभिशाप पर अच्छी प्रस्तुति..

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  2. Hi..

    Sundar bhav, kavita ke madhyam se vyavastha par chot.. Aaj ke yahi halaat hain..

    Thoda bahar gaya tha esi liye der se comment kar raha hun..

    Deepak..

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  3. bahut badhiya...yah aaj bahut naujwano ki hakikat hai...
    mujhe yaad hai jab main IIT engineering ka exam dene bhagalpur jaa raha tha to train mein maine ek baadam wale se badam liya aur usse puchha ki abhi kitni deri hai bhagalpur aane mein,usne bola bas ek ghanta aur barbas hi puch pada kaya bhaiya bhagalpur mein hi center pada hai ...tin saal pahle mera bhi yahi pada tha.

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  4. एक और चीज का अफसोस है, हर जगह सिफरिश के बगैर काम नहीं चलता, लेकिन फेयर सेलेक्‍शन होने का दावा जरूर किया जाता है।

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