आज बहुत समय के बाद आप सभी के समक्ष उपस्थित हूँ,
एक और रचना के साथ..पर ये रचना मेरी नहीं मेरे छोटे भाई
की हैं ..वो भी लिखते हैं ..पर इन दिनों व्यस्तता के चलते लिख नहीं
पाते हैं ....आज उनकी बहुत पहले लिखी कविता आप सभी के साथ
बांटना चाहती हूँ । मुझे पूरी उम्मीद हैं आपको ये कविता जरुर पसंद
आएगी ।
दो अक्षर का मेल हैं घर,
परिवार के लोगों का मिलन हैं घर।
सुख और शान्ति जहाँ मिले,
उस जगह का नाम हैं घर ।
थक कर जहाँ मिले आराम,
वह कहलाता हैं घर ।
घर नहीं केवल एक मकान,
नहीं ईंट और मिटटी से बनी ईमारत शानदार।
राजा का महल नहीं,
ना गरीब की कुटीया हैं घर,
तो फिर घर क्या हैं ?
जहाँ परिवार के साथ रह पाए ,
सुख -दुःख एक दुसरे के बांटते जाए।
जिससे हम न रह सके दूर,
जिसके बिना न रहे आँखों मैं नूर ।
उस स्वर्ग का नाम हैं घर।
चलो इस दुनिया को घर बनाये,
हिंसा को इस जग से हटाये।
भाई -भाई की तरह गले मिल जाए,
चेहरे पे सबके खुशियाँ लौटा लाये।
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Hi...
ReplyDeleteKavita main ghar ke baare main..
Jo bhi tathya bataye hain...
Man main bhav, hain umde kitne...
Kuchh bhi na kah paye hain...
Sundar bhav...
Deepak Shukla..
जहाँ परिवार के साथ रह पाए ,
ReplyDeleteसुख -दुःख एक दुसरे के बांटते जाए।
जिससे हम न रह सके दूर,
जिसके बिना न रहे आँखों मैं नूर ।
उस स्वर्ग का नाम हैं घर।
बहुत ही अच्छा लिखा है।
सादर
कल 02/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
घर की काव्यात्मक व्याख्या ...सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteखूबसूरत परिभाषा....
ReplyDeleteरचनाकार छोटे भाई को बधाई...
सादर....
घर की खूबसूरत परिभाषा.........
ReplyDeleteचलो इस दुनिया को घर बनाये,....
ReplyDelete"vasudhaiv kutumbkam"
Bahut sundar
www.poeticprakash.com
छोटे भाई ने बहुत खूबसूरत परिभाषा दी है घर की ... सुन्दर रचना
ReplyDeleteजहाँ परिवार के साथ रह पाए ,
ReplyDeleteसुख -दुःख एक दुसरे के बांटते जाए।
जिससे हम न रह सके दूर,
जिसके बिना न रहे आँखों मैं नूर ।
उस स्वर्ग का नाम हैं घर।
सटीक पंक्तियाँ! घर क्या होता है उसके बारे में सुन्दर शब्दों से सुसज्जित शानदार रचना लिखा है आपके भाई ने! बधाई दीजियेगा!
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteसादर
आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
ReplyDeleteघर नहीं केवल एक मकान,
ReplyDeleteनहीं ईंट और मिटटी से बनी ईमारत शानदार।
सटीक!!!सुन्दर रचना!
बहुत अच्छे से परिभाषित किया है आपने घर को, सुन्दर रचना!
ReplyDeletebahut achha likha hai apne..... ati sundar rachna...
ReplyDeletewould love to read more and more..
ghar ....bahut sunder likha hai aapne iske baare mai ,
ReplyDeletechaar deewaro pr chhat se makaan hota hai ,usme base insaan to wo ghar hota hai
सुन्दर भाव !
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