मन का पंछी विचारो की भूल -भूलैया मे,
सदा यू ही भटका फिरा ।
रिवाजो की बंदिशों मे ही,
अपने आप को जकड़ा रहा।
लाख पंख फडफड़ाये तो भी,
रास्ता नहीं कोई सूझ रहा।
समझोते की दीवार को ले,
ख़ामोशी से टिका रहा ।
Friday, June 25, 2010
Wednesday, June 23, 2010
बरखा का मौसम .
गर -गर -गर -गर बदरा गरजे ।
चम-चम -चम -चम बिजुरिया चमके।
सन -सन -सन -सन चले हवा ।
रिमझिम -रिमझिम पड़े फुहार ।
पपीहे ने मचाया शोर ।
मोर नाचे भाव -विभोर ।
प्यासी धरती ने प्यास बुझाई ।
चारो तरफ हरियाली छाई
खिल उठे सबके तन-मन ।
आया जो ये बरखा का मौसम ।
चम-चम -चम -चम बिजुरिया चमके।
सन -सन -सन -सन चले हवा ।
रिमझिम -रिमझिम पड़े फुहार ।
पपीहे ने मचाया शोर ।
मोर नाचे भाव -विभोर ।
प्यासी धरती ने प्यास बुझाई ।
चारो तरफ हरियाली छाई
खिल उठे सबके तन-मन ।
आया जो ये बरखा का मौसम ।
Friday, June 18, 2010
Thursday, June 10, 2010
जिंदगी क्या है ...
जिंदगी क्या है ......इसका वर्णन हर कोई अपने हिसाब से करता है । मैंने भी अपने तरीके से जिंदगी का वर्णन किया है।
जिंदगी पटरी है ,साँसों के पहियों पर दौड़ती,
लम्हों की रेल है।
जिंदगी दरिया है,साँसों की लहरों पर चलती,
लम्हों की कश्ती है।
जिंदगी जमीन है,साँसों की नीव पर बसी,
लम्हों का आशिया है।
जिंदगी किताब है, साँसों की कलम से लिखी,
लम्हों की दास्ताँ है।
जिंदगी संगीत है, साँसों के स्वरों से सजी,
लम्हों का गीत है।
जिंदगी रंगशाला है,साँसों के इशारों पर रचित,
लम्हों का खेल है।
जिंदगी एक बाग़ है, साँसों की खुशबु से महकी,
लम्हों के फूल है।
जिंदगी पटरी है ,साँसों के पहियों पर दौड़ती,
लम्हों की रेल है।
जिंदगी दरिया है,साँसों की लहरों पर चलती,
लम्हों की कश्ती है।
जिंदगी जमीन है,साँसों की नीव पर बसी,
लम्हों का आशिया है।
जिंदगी किताब है, साँसों की कलम से लिखी,
लम्हों की दास्ताँ है।
जिंदगी संगीत है, साँसों के स्वरों से सजी,
लम्हों का गीत है।
जिंदगी रंगशाला है,साँसों के इशारों पर रचित,
लम्हों का खेल है।
जिंदगी एक बाग़ है, साँसों की खुशबु से महकी,
लम्हों के फूल है।
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